एटा- अलीगंज तहसील क्षेत्र में जिस तरह से कृषि भूमि पर कॉलोनियां बनाई जा रही हैं, उससे सरकार का करोडों का नुकसान हो रहा है। अग्र भारत समाचार पत्र में इन अवैध कॉलोनियों का समाचार प्रसारित होने के बाद अधिकारी बडी कार्यवाही करने के संकेत दे रहे है। उपजिलाधिाकरी का कहना है कि अगर इस तरह से कॉलोनियों का निर्माण हुआ है तो निश्चित ही कार्यवाही की जाएगी। आबादी घोषित कराने के बाद ही प्लाटिंग की जा सकती है।
विदित हो कि बढती आबादी और ग्रामीणों का शहरों और नगरों के प्रति आकर्षित होने के कारण आबादी भूमि की अनुपब्धता भू-माफियाओं के लिए बरदान साबित हो रही है। भू व्यापार से जुड़े लोग मानकों को दरकिनार कर कृषि भूमि पर अवैध रूप से कॉलोनियों का निर्माण कर करोडों के बारे न्यारे कर रहे है।
वर्तमान की स्थिति को देखा जाए तो अलीगंज के प्रत्येक मार्ग पर इन कॉलोनियों को विकसित किया जा रहा है। हालात यह है कि इनमें नगर से जुडी कुछ ग्राम पंचायतों तक इनका दायर बढता जा रहा है। जिसमें ग्राम विजैदेपुर, राई, अलीगंज बाहर चुंगी, अगौनापुर, ससोता दोषपुर आदि प्रमुख है। वर्तमान में दर्जनभर से अधिक कॉलोनियां बसाई जा चुकी हैं, इनमें से कुछ कॉलोनियों को आबादी घोषित करवाकर प्लाटिंग की जा रही है बांकी ज्यादातर कॉलोनियां अभी भी कृषि भूमि पर बनाई गई है।
उपजिलाधिकारी अलीगंज जगमोहन गुप्ता ने बताया कि गैर आबादी की भूमि पर यदि आबादी बसाई जा रही है तो यह गलत है। पहले कोर्ट से परिमीशन लेनी होगी उसके बाद ही कृषि भूमि को आबादी में घोषित किया जाएगा। यदि कोई ऐसा कर रहा है तो जांच करवाकर कार्यवाही की जाएगी।
कैसे लगती है राजस्व की चपत –
नियम के अनुसार अगर कृषि भूमि पर कोई भी आवास या व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाया जाता है तो इसके लिए उपजिलाधिकारी न्यायालय में वाद दायर कर आबादी घोषित करवाना आवश्यक है। इसके लिए सर्किल रेट के हिसाब से शुल्क भी जमा किया जाता है। इसी शुल्क को बचाने के लिए अवैध कॉलोनियों को विकसित करने वाले लोग करोडों का खेल कर लेते हैं।
