नवरात्रि की पूजा में पान के पत्ते का महत्व

Honey Chahar
2 Min Read

नवरात्रि की पूजा में पान के पत्ते का बहुत महत्व होता है। पान के पत्तों को ताजगी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, पान के पत्तों का उद्भव समुंद्र मंथन के दौरान हुआ था। पूजा में पान के पत्तों के इस्तेमाल इस मान्यता के आधार पर भी किया जाता है कि पान के पत्तों में देवी-देवताओं का वास होता है।

नवरात्रि की पूजा में पान के पत्ते का इस्तेमाल निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

  • पान के पत्ते पर गुलाब की पंखुड़ियां रखकर देवी दुर्गा को अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • पान के पत्ते पर सिंदूर, हल्दी, कुमकुम, और फूल रखकर मां दुर्गा की प्रतिमा को सजाया जाता है। ऐसा करने से मां दुर्गा को प्रसन्न किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
  • पान के पत्ते पर चंदन, अक्षत, और फूल रखकर मां दुर्गा की आरती की जाती है। ऐसा करने से मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है और उनका ध्यान आकर्षित किया जाता है।
See also  सरकारी ऐप्स: सरकारी दफ्तर की चक्कर से छुटकारा, समय और पैसे बचाएं इन ऐप्स के साथ

पान के पत्ते का प्रयोग नवरात्रि की पूजा में करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
  • बुरी शक्तियों से बचाव होता है।

नवरात्रि की पूजा में पान के पत्ते का प्रयोग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • पान के पत्ते ताजे होने चाहिए।
  • पान के पत्ते पर कोई भी दाग या धब्बा नहीं होना चाहिए।
  • पान के पत्ते पर किसी भी प्रकार की गंध नहीं होनी चाहिए।

पान के पत्ते को पूजा के बाद बहते पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है।

See also  जीवनसाथी के साथ कैसा व्यवहार करें की जिंदगी हो जाये मस्त

See also  आगरा की नहर प्रणाली के संरक्षण की आवश्यकता
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

error: AGRABHARAT.COM Copywrite Content.