लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली दरों को लेकर बड़ा फैसला होने वाला है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने दरों को अंतिम रूप दे दिया है, लेकिन आयोग बिजली की दरें बढ़ाने के बजाय यथावत रख सकता है। हालांकि, उपभोक्ता परिषद का कहना है कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस निकल रहा है, इसलिए मौजूदा दरों में कमी की जानी चाहिए।
नई दरों की घोषणा का इंतजार
बिजली की नई दरों की घोषणा एक-दो दिन में होने की संभावना है। विद्युत आयोग ने विद्युत अधिनियम 2003 के तहत बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) प्रस्ताव को 10 जून को स्वीकार किया था। आयोग को आठ अक्टूबर तक नई दरें घोषित करनी थीं, लेकिन अब तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
उपभोक्ता परिषद की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि जब उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर इतना बड़ा सरप्लस है, तो दरों में कमी होनी चाहिए। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कानून का हवाला देकर कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन नहीं चाहता कि बिजली की दरें घटें, इसलिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए।
कार्रवाई की गई
इस बीच, बिजली बिल वसूली में पिछड़ने के चलते बुलंदशहर के अधीक्षण अभियंता (एसई) और मेरठ के एसडीओ को निलंबित किया गया है। यूपी पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने कहा कि खराब प्रदर्शन के लिए कई अधिकारियों को फटकार लगाई गई है, और यदि सुधार नहीं हुआ तो उन्हें फील्ड से हटा दिया जाएगा।
बिजली दरों में संभावित बदलाव और उपभोक्ताओं की मांग को देखते हुए, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विद्युत नियामक आयोग उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए दरों में कमी करेगा या उन्हें यथावत रखने का फैसला करेगा। यह स्थिति बिजली उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, और सभी की नजरें अगले कुछ दिनों में होने वाली घोषणा पर टिकी हैं।