घिरोर / मैनपुरी
एक तरफ शासन के आदेश हैं कि छुट्टा गोवंश को स्थाई / अस्थाई गौशाला में पहुंचाया जाए। थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद जिलाधिकारी मैनपुरी द्वारा छुट्टा गौवंशो को आश्रय स्थल पहुंचाने को लेकर निर्देश जारी होते हैं लेकिन निचले स्तर पर अधिकारियों के कानों में इसकी जूं भी नहीं रेंगती । कस्बे के मुख्य बाजार में दर्जनों गौवन्शों के झुंड के झुंड देखे जा सकते हैं। जिनसे आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं इन दुर्घटनाओं में व्यक्ति गंभीर चोटिल होता है और कहीं कहीं जान भी गंवाने के मामले आते रहते हैं । वहीं साथ ही साथ कई बार गोवंश भी चोटिल होकर मौत के गाल में समा जाते हैं। गौवंश के एक साथ झुंड के झुंड इकट्ठे होने पर कई बार आपस में भिड़ जाते हैं जिससे बाजार में अफरातफरी की स्थिति पैदा हो जाती है।
आखिर इन सब स्थितियों को लेकर गाय के दूध छोड़ जाने पर या बछड़ा पैदा होने पर उस बछड़े को छोड़ने वाले दोषी हैं अथवा छुट्टा गौवंश के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर उनको ना पहुंचाने वाले दोषी हैं । आखिर दोषी कौन ? जिम्मेदार मौन!
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का इस ओर विशेष ध्यान होते हुए भी अधिकारियों की लापरवाही के लोग अपने अपने हिसाब से कयास लगाते नजर आते हैं। कुछ जिम्मेदार अधिकारी ऊपर तक पहुंच होने का रौब दिखाते हैं तो कुछ बड़े अधिकारियों के कृपा पात्र बन गैर जिम्मेदार बने बैठे हैं।
नगरवासी संदीप तिवारी , रामकिशोर वर्मा , अनूप जैन , बबलू गुप्ता , रिशू अग्रवाल , अखिलेश चौहान , पिंकू तोमर , शिवम जैन, प्रत्युष गर्ग , देवांग वर्मा , नीटू गुप्ता , बिजेंद्र गुप्ता आदि ने गौवन्शों को गौशाला भिजवाने की मांग की है।