आगरा, एक ऐसा ऐतिहासिक शहर, जिसकी पहचान ताजमहल और मुगलों की धरोहर के कारण पूरी दुनिया में है, आज भी विकास की राह में रुकावटों का सामना कर रहा है। 2024 का साल आगरा के लिए कई अधूरे वादों और अनसुलझी समस्याओं के रूप में समाप्त हो रहा है। जब भाजपा को चुनावों में 10 विधायक, 3 सांसद, एक महापौर और एक जिला बोर्ड अध्यक्ष मिलने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि अब शहर का गोल्डन युग शुरू होगा, तो नागरिकों की उम्मीदें पूरी तरह से धराशायी हो गईं।
आगरा का इतिहास और विकास की कमी
आगरा, जिसकी विश्व प्रसिद्ध विरासत और एंटरप्रेन्योरियल ताकत के बलबूते कभी उद्योगों में भी अग्रणी था, आज भी विकास की कमी महसूस कर रहा है। आगरा के निवासियों का मोहभंग हो रहा है, क्योंकि शहर में तमाम विकास योजनाओं के बावजूद, उन्हें अपने मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह शहर, जो एक समय में व्यापार और कला का केन्द्र हुआ करता था, आज भी उन्नति की राह में पीछे है।
यमुना नदी पर बैराज का अभाव
आगरा के सामने एक प्रमुख समस्या यमुना नदी पर बैराज का अभाव है। जल संसाधनों के प्रबंधन और सिंचाई के क्षेत्र में इस बुनियादी ढांचे के निर्माण में हो रही देरी से किसानों और स्थानीय समुदायों की जीवन रेखा प्रभावित हो रही है। इससे न केवल कृषि क्षेत्र पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास के लिए भी एक बड़ी बाधा बन गई है।
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा: अधूरा सपना
आगरा का एक और लंबित सपना है – अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा। आगरा जैसे प्रमुख पर्यटन शहर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की कमी ने पर्यटन विकास को बाधित किया है। ताजमहल की प्रसिद्धि के बावजूद, आगरा में आधुनिक परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण विदेशी पर्यटकों के लिए शहर में आना आसान नहीं हो पाता। इसके साथ ही व्यापार और कनेक्टिविटी के अवसर भी सीमित हो गए हैं।
खेल स्टेडियम की अनुपस्थिति
आगरा में एक और प्रमुख समस्या है खेल स्टेडियम का अभाव। इस शहर में कई उभरते हुए एथलीट हैं, लेकिन उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए उचित प्रशिक्षण और प्रतियोगिता सुविधाओं की कमी महसूस हो रही है। यह ना केवल स्थानीय युवाओं को दबाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि शहर में खेल और मनोरंजन को प्राथमिकता नहीं दी जाती।
पर्यटन को बढ़ावा देने वाली योजनाओं का अभाव
आगरा, जो अपनी समृद्ध विरासत और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रभावी योजनाओं से वंचित है। यमुना नदी पर फेरी सेवा, जो एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण हो सकती थी, वह भी अभी तक सिर्फ वादा ही बनी हुई है। इसके अलावा, प्रदूषण नियंत्रण की रणनीतियां भी सिर्फ कागजों तक सीमित रही हैं, जिससे वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
स्थानीय उद्योगों की उपेक्षा
आगरा के स्थानीय उद्योग, जैसे जूता उद्योग, जो शहर की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, उपेक्षित हैं। यहां तक कि कृषि विश्वविद्यालय और आईटी पार्क जैसे महत्वपूर्ण संस्थान भी अभी तक अस्तित्व में नहीं आ पाए हैं। यह सभी मुद्दे शहर के विकास में रुकावट डाल रहे हैं और आगरा की उन्नति को रोक रहे हैं।
यमुना नदी की सफाई और वादा अधूरा
यमुना नदी की सफाई और उसकी प्राचीन गरिमा को पुनः स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वादे किए थे। लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ खास बदलाव नहीं आ सका। यमुना नदी की स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है।
आगरा विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा
आगरा विश्वविद्यालय की हालत भी निराशाजनक बनी हुई है। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाएं भी पंगु हो गई हैं, जिससे शहरवासियों को जरूरी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करने में मुश्किलें आ रही हैं। ट्रैफिक व्यवस्था, पुलिस से विश्वास का उठना, और सड़कों पर आवारा जानवरों की समस्याएं शहरवासियों के जीवन को प्रभावित कर रही हैं।
आशा की किरण – क्या 2025 में बदलाव होगा?
2025 के लिए उम्मीद की जा रही है कि यह साल आगरा के लिए एक नए दौर की शुरुआत करेगा। हालांकि, 2024 में अधूरे वादों और योजनाओं की भरमार थी, लेकिन शहरवासियों को उम्मीद है कि आगामी साल में इन समस्याओं का समाधान होगा और आगरा अपने सही स्थान पर पहुंचेगा।
बृज खंडेलवाल