एटा – जिले में पंचायत सचिवों की नियुक्ति को लेकर जिला प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। विकासखंड स्तर पर सचिवों की संख्या पंचायतों के अनुपात में नहीं बल्कि उलटे ढंग से तय की गई है। इसका ताजा उदाहरण जैथरा और अलीगंज विकासखंडों में देखा जा सकता है।
जैथरा विकासखंड में कुल 67 ग्राम पंचायतें हैं, जिन पर 13 पंचायत सचिवों की तैनाती की गई है। वहीं, अलीगंज ब्लॉक में 93 ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन यहां सिर्फ 10 पंचायत सचिवों की नियुक्ति हुई है। यह स्थिति न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि योजना निर्माण और क्रियान्वयन की नींव कमजोर है।
वास्तविकता यह है कि अलीगंज में पंचायतों की संख्या अधिक होने के बावजूद सचिवों की संख्या कम है, जबकि जैथरा में पंचायतों की संख्या कम है और फिर भी वहां तुलनात्मक अधिक सचिव तैनात हैं। यह पूरी व्यवस्था विरोधाभासी है। आमतौर पर जहां पंचायतें अधिक होती हैं, वहां कार्यभार अधिक होता है और उसी अनुसार सचिवों की संख्या भी अधिक होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान स्थिति इसके उलट है।
इस असंतुलन का सीधा असर ग्रामीण विकास योजनाओं, शासकीय कार्यों की निगरानी और जनता को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं पर पड़ रहा है। एक-एक सचिव को कई-कई पंचायतों का काम संभालना पड़ रहा है, जिससे विकास कार्यों की रफ्तार धीमी हो गई है और जनता को समय पर सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि इसी तरह अनियोजित तरीके से तैनातियां होती रहीं, तो सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहुंचेगा। जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि पंचायतों की संख्या के अनुरूप सचिवों की तैनाती की जाए, ताकि विकास कार्य सुचारु रूप से हो सकें और आमजन को समय पर सेवाएं मिल सकें।