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क्या आगरा मानसून के लिए तैयार है? संकट से बचने के लिए सरकारी एजेंसियों को मुस्तैदी से ये कार्य करने चाहिए

Dharmender Singh Malik
6 Min Read
क्या आगरा मानसून के लिए तैयार है? संकट से बचने के लिए सरकारी एजेंसियों को मुस्तैदी से ये कार्य करने चाहिए

आगरा में मानसून से पहले ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और जलभराव की गंभीर चुनौती। बृज खंडेलवाल के विश्लेषण के अनुसार, नगर निगम को यमुना सफाई, तालाबों से अतिक्रमण हटाने, पौधारोपण और ताजमहल के संरक्षण जैसे मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई करनी होगी।

बृज खंडेलवाल 

फिलहाल भीषण गर्मी में समूचा आगरा शहर विकट ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहा है। चालीस दिन बाद मानसून दस्तक दे देगा, तब ये समस्या और भी पेचीदा हो जाएगी।
मई 2025 का महीना शुरू होते ही, आगरा नगर निगम (AMC) के सामने मानसून की तैयारी का अहम मौका है। हर साल, बारिश का मौसम शहर में भारी उथल-पुथल मचाता है। पिछले साल, जून से सितंबर के बीच आगरा में 800 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जिससे निचले इलाकों में बाढ़, नालों का उफनना और डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारियों में 30% की बढ़ोतरी हुई।
इस साल भी, शहर की हवा की गुणवत्ता (AQI) 400 से ऊपर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुकी है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण भी एक बड़ी चुनौती है। यमुना नदी के किनारे जमा कचरा और ताजमहल के पर्यावरणीय खतरों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्यभर में 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें हाईवे के किनारे फलदार पेड़ शामिल हैं। इसके साथ कदम मिलाकर, नगर निगम को मानसून की चुनौतियों से निपटने और शहर को मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। नालों की सफाई का प्रोग्राम आ चुका है, लेकिन अतिक्रमणों को ध्वस्त करने की योजना नहीं बनी है।

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आगरा की नालियां मिट्टी, प्लास्टिक और कचरे से अक्सर जाम हो जाती हैं। 2024 में, 60% से ज्यादा नालियां भर गईं, जिससे सड़कें और घर पानी में डूब गए। निगम को इसी महीने मशीनीकृत उपकरणों और मजदूर टीमों की मदद से नालियों की सफाई अभियान युद्ध स्तर पर शुरू करना चाहिए, खासकर निचले, नालों के किनारे के इलाकों में। नियमित निरीक्षण और सार्वजनिक रिपोर्टिंग से पारदर्शिता बनी रहेगी। इससे न सिर्फ जलभराव रुकेगा, बल्कि मच्छरों के प्रजनन पर भी लगाम लगेगी, जिससे पिछले साल मलेरिया के मामले 25% बढ़ गए थे।

यमुना नदी में हर साल लगभग 1,500 टन कचरा जमा होता है, जो सेहत और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है। नदी किनारे के कचरे के ढेर बाढ़ को बढ़ाते हैं और ताजमहल के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं। नगर निगम को स्थानीय एनजीओ और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर प्लास्टिक और जैविक कचरा हटाने का अभियान चलाना चाहिए। नदी किनारे वेस्ट सीग्रिगेशन यूनिट बनाने और अवैध कचरा फेंकने पर ₹5,000 तक का जुर्माना लगाने से लोगों में जागरूकता आएगी। स्वच्छ यमुना न सिर्फ लोगों की सेहत, बल्कि ताज की खूबसूरती की भी रक्षा करेगी। नदी की तलहटी पर तमाम पेड़ पौधे निकल आए हैं जिन्हें गंदे नालों से पोषण मिल रहा है। वाटर वर्क्स से हाथी घाट तक इस की सफाई तत्काल की जाए।

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आगरा के सैकड़ों सामुदायिक तालाब भूजल रिचार्ज के लिए अहम हैं, लेकिन अतिक्रमण और गाद से भरे हुए हैं। पिछले साल सिर्फ 15 तालाबों की आंशिक सफाई हुई, जिससे बाढ़ रोकने की क्षमता कमजोर रही। निगम को अतिक्रमण हटाने के लिए कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और भारी मशीनरी से गाद साफ करनी चाहिए। स्थानीय लोगों को जागरूक करके इन तालाबों को बचाने में मदद मिल सकती है।

उत्तर प्रदेश सरकार के पौधारोपण अभियान के तहत, आगरा में 50,000 फलदार पेड़ (जैसे आम और अमरूद) हाईवे और ग्रीन बेल्ट में लगाए जाने चाहिए। मई में 2×2 फीट के गड्ढे खोदने, पौधे तैयार करने और खाद डालने का काम शुरू होना चाहिए। स्कूलों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को शामिल करने से जनभागीदारी बढ़ेगी, जिससे आगरा का हरित आवरण बढ़ेगा और प्रदूषण कम होगा। पिछले महीने PM2.5 का स्तर 250 µg/m³ तक पहुंच गया था, जो खतरनाक स्तर है।

ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन में कंस्ट्रक्शन धूल पर रोक, कचरा जलाने पर प्रतिबंध और इलेक्ट्रिक रिक्शा को बढ़ावा देना जरूरी है। पांच नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाकर और मोबाइल ऐप के जरिए रियल-टाइम डेटा साझा करने से लोगों को सचेत किया जा सकता है। स्थानीय उद्योगों को स्वच्छ तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना भी जरूरी है।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर, पिछले साल मानसून में 1,200 डेंगू के मामले सामने आए थे। निगम को फॉगिंग अभियान तेज करना चाहिए और स्वास्थ्य शिविर लगाकर बीमारियों का पता लगाना चाहिए। दवाइयों का स्टॉक, स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग और बाढ़ राहत दलों को नाव व पंप उपलब्ध कराने से संकट से निपटने में मदद मिलेगी। सफाई और कचरा निस्तारण पर जागरूकता फैलाने से बीमारियों का प्रसार रुकेगा।

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हर साल 70 लाख पर्यटकों को आकर्षित करने वाले ताजमहल पर मानसून और प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। निगम को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के साथ मिलकर ताज के आसपास की सफाई, निकासी व्यवस्था सुधारने और 1,000 पेड़ लगाकर प्रदूषण रोकने का काम करना चाहिए। ताज के 5 किमी के दायरे में वाहनों के उत्सर्जन को कम करके इसके संगमरमर को बचाया जा सकता है।

मई में ही तेजी से काम करके, डेटा-आधारित योजना बनाकर और समुदाय को जोड़कर, आगरा नगर निगम शहर को साफ-सुथरा, हरा-भरा और मजबूत बना सकता है। बारिश आने से पहले अभी कदम उठाने का समय है—वरना फिर पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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