वृंदावन में हरे-भरे पेड़ों की बर्बर हत्या: एनजीटी ने जांच शुरू की

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मथुरा के छटीकरा वृंदावन मार्ग पर सैकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई ने पर्यावरण प्रेमियों को आहत किया है। इस गंभीर मामले में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने हस्तक्षेप करते हुए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।

क्या हुआ था?

पिछले कुछ समय से वृंदावन में वैष्णो देवी मंदिर के पास स्थित 35 एकड़ जमीन पर 50 से 100 साल पुराने पेड़ों को बेरहमी से काटा जा रहा था। इस अवैध कटाई के कारण स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। पर्यावरण प्रेमी भी इस कृत्य की निंदा कर रहे हैं।

एनजीटी का कदम

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लिया है। न्यायाधिकरण ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है जो इस मामले की गहन जांच करेगी और जनवरी 2025 तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इस समिति में मथुरा के डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह नोडल अधिकारी होंगे। इसके अलावा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (यूपी), चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स और फॉरेस्ट सर्वे कंजरवेटर भी इस समिति के सदस्य होंगे।

क्यों है यह मामला गंभीर?

  • पर्यावरणीय क्षति: वृक्ष पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इनके कटने से प्रदूषण बढ़ेगा, जलवायु परिवर्तन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और जैव विविधता को नुकसान पहुंचेगा।
  • धार्मिक महत्व: वृंदावन एक पवित्र शहर है और यहां के पेड़ों का धार्मिक महत्व भी है।
  • कानूनी उल्लंघन: पेड़ों को काटना कानूनन अपराध है।

आगे क्या होगा?

एनजीटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, इस मामले ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को उजागर किया है। हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक जागरूक और जिम्मेदार बनना होगा।

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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