मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारियों के अनुसार, इस हिंसा के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और बांग्लादेशी आतंकी संगठनों का हाथ हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, यह कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसमें सीमापार से घुसपैठ कराकर इलाके में अराजकता फैलाने की कोशिश की गई।
वक्फ अधिनियम बना हिंसा भड़काने का बहाना
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को जानबूझकर भड़काया गया, और इसमें छात्रों के वेश में सीमा पार से युवाओं की घुसपैठ कराई गई। इन प्रदर्शनों के दौरान अचानक उग्र हिंसा फैल गई, जिससे स्थानीय प्रशासन सकते में आ गया।
बंगाल में बढ़ रही आईएसआई की गतिविधियां
सूत्र बताते हैं कि बंगाल की सीमावर्ती क्षेत्रों में आईएसआई एजेंटों की गतिविधियों में हाल के दिनों में इजाफा हुआ है। इन एजेंटों को स्थानीय चरमपंथी तत्वों और अवैध मदरसों से सहयोग मिल रहा है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी, जेएमबी और एबीटी जैसे संगठन इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और अशांति फैलाने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
किस तरह रची गई साजिश?
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बांग्लादेश से प्रशिक्षित युवा अवैध रूप से मुर्शिदाबाद सीमा से भारत में घुसे।
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इन्हें मुर्शिदाबाद के सुती, समशेरगंज, रघुनाथगंज और धूलियान में ठिकाना मिला।
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युवाओं को खुफिया तौर पर मदरसों में ब्रेनवॉश किया गया।
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वक्फ अधिनियम के खिलाफ झूठी सूचनाओं से युवाओं को उकसाया गया।
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योजनाबद्ध तरीके से पुलिस पर हमले और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
मदरसों से निकले दंगाई?
खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिए हैं कि एबीटी से जुड़े अवैध मदरसों में हिंसा फैलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। अधिकांश संदिग्ध 18 वर्ष से कम उम्र के हैं। इन मदरसों में 20 मौलवियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जो युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ रहे थे।
बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट
बीएसएफ-डिटेक्टिव डिपार्टमेंट द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा को बाहरी तत्वों ने योजनाबद्ध रूप से अंजाम दिया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जैसी आतंकी संस्थाएं इस घटना के पीछे हो सकती हैं।
स्थानीय लोग भी पहचान नहीं सके हमलावरों को
स्थानीय पुलिस और जनप्रतिनिधियों ने बताया कि हिंसा में शामिल लोगों को पहले कभी इलाके में नहीं देखा गया। वे सीधे प्रदर्शन में शामिल हुए और उत्पात मचाना शुरू कर दिया। इससे साफ है कि ये लोग स्थानीय नहीं, बल्कि बाहरी घुसपैठिए थे।
🇮🇳 सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चुनौती
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी बड़ी संख्या में घुसपैठ कैसे हुई और बीएसएफ को इसकी भनक क्यों नहीं लगी? सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक बड़ा अलर्ट है कि सीमाओं की निगरानी को और अधिक कड़ा किया जाए।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा अब केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं रही, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बन चुकी है। आईएसआई और बांग्लादेशी आतंकियों की संभावित भूमिका ने एजेंसियों को अलर्ट पर ला दिया है। अब देखना होगा कि जांच एजेंसियां इस साजिश की जड़ों तक कितनी जल्दी पहुंचती हैं और दोषियों को कब तक सजा मिलती है।