जानकारी के अनुसार, इस अभियान का नेतृत्व नोडल अधिकारी डॉ. जितेंद्र लवानिया और स्वास्थ्य विभाग के अन्य सदस्य जगपाल चाहर कर रहे थे। दोनों अधिकारियों की टीम क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए विशेष अभियान चला रही थी। टीम के मौके पर पहुंचने पर उन्होंने देखा कि उक्त दुकान पर बड़ी मात्रा में अवैध दवाइयां पाई गईं, जिसमें सैंपल दवाइयां भी शामिल थीं। इसके अलावा, दुकान पर न तो कोई योग्य डॉक्टर मौजूद था और न ही लाइसेंस प्राप्त चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध थीं।
जब टीम ने दुकान की जांच की तो पाया कि एक बालक उपचार के लिए दुकान पर आया हुआ था। टीम ने उसे सुरक्षित रूप से वापस भेजते हुए दुकान को सील कर दिया।
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नोडल अधिकारी डॉ. जितेंद्र लवानिया ने बताया कि, “झोलाछाप डॉक्टर रईस कुरैशी को करीब 10 दिन पहले नोटिस भेजा गया था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। आज हमारी टीम ने इस दुकान को बंद करा दिया है। हम क्षेत्र में सभी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेंगे ताकि जनता की सेहत से खिलवाड़ ना हो।”
झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ यह छापेमारी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। विभाग की इस कार्रवाई से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन साथ ही झोलाछाप डॉक्टरों की धरपकड़ के चलते पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम की इस कार्रवाई के बाद अब स्थानीय निवासी भी सशंकित हैं और अपनी सेहत को लेकर सतर्क हो गए हैं। विभाग ने इस अभियान को आगामी दिनों में भी जारी रखने की योजना बनाई है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे केवल प्रमाणित और लाइसेंस प्राप्त डॉक्टरों से ही इलाज कराएं और किसी भी अवैध दवाइयों या इलाज से दूर रहें। विभाग ने जनता से सहयोग की अपील भी की है ताकि इस तरह के झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान कर उन्हें सजा दिलवायी जा सके।