एटा । समाजवादी पार्टी की सरकार में सबसे दबंग रहे दो भईयो विधायक रामेश्वर यादव और जिला पंचायत अध्यक्ष रहे जुगेंद्र यादव के खिलाफ कार्रवाई की आशंका तभी पैदा हो गई थी जब समाजवादी पार्टी की सरकार का पतन हुआ था। तत्कालीन जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने उनके विकास कार्यों की फाइलें खुलवाकर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। जिलाधिकारी ने उनकी बनाई गई सभी सडके और उनकी जांच पड़ताल के बाद ही यह तय हो गया था कि अब इन पर अच्छी तरह से शिकंजा कसा जाएगा। लेकिन तत्कालीन राज्यपाल स्वर्गीय कल्याण सिंह का आशीर्वाद प्राप्त होने के चलते जिलाधिकारी का तबादला कर दिया गया और इनको राहत मिल गई।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई उनके विरोधी एकजुट होकर के इन्हें सबक सिखाने में जुट गए। दोनों भाइयों के कारनामों की फाइलें सीधे-सीधे योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी गई। शिकायतकर्ताओं ने काफी रिसर्च के बाद यह शिकायत की थी कि दोनों भाइयों ने अपनी आय से बहुत ज्यादा संपत्ति खड़ी कर ली है। इसके बाद विभिन्न जांच एजसियों ने पड़ताल की और दोनों भाइयों पर शिकंजा कसता चला गया।
वैसे तो रामेश्वर और जोगेंद्र सिंह के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं होती क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में भी उनका अच्छा खासा रसूख था। लेकिन योगी आदित्यनाथ की यादव ,मुस्लिम विरोधी भावना के चलते इन पर मजबूत फंदा कस दिया गया। दोनों भाइयों को भू माफिया घोषित किय गया। जमीन, मकान, व्यावसायिक भूखंड सब अटैच कर लिए गए।
परिवार की महिलाओं को छोडकर सभी सदस्य जेल जा चुके हैं । हालांकि कई मुकदमों में महिलाओं को भी नाम जद किया गया है। समाजवादी पार्टी के नेता दोनों भाइयों के खिलाफ अबभी लगातार मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। क्योंकि सरकार को बने हुए 8 साल हो चुके हैं। मुकदमे काफी विलंब से दर्ज किये जा रहे हैं। इसलिए सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर शिकायतकर्ता 7 साल से कहां थे ।
बरहाल सपा नेता दोनों भाइयों के राजनीतिक वजूद को मिटने के लिए सभी नेताओं ने हाथ मिला लिया है। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता उनकी पूर्व में मदद करते रहे हैं । लेकिन बदले राजनीतिक हालात में उन्होंने भी किनारा कर लिया है।
Also Read: