लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा चुनावों से भाजपा नेतृत्व में पीढ़ी परिवर्तन का दौर शुरू होगा। पार्टी कई सालों से सीटों पर जमे सांसद और परिषद सदस्यों की जगह नए और युवा चेहरों को नेतृत्व का मौका देगी, जो आगामी 15-20 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व कर सकें।
राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की जगह पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की जगह विष्णुदेव साय को पार्टी ने नेतृत्व सौंपा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी नेतृत्व ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़ी रणनीति के तहत नेतृत्व का पीढ़ी परिवर्तन किया है।
पार्टी के एक उच्च पदस्थ सूत्र का कहना है कि विधान परिषद की कुल 18, राज्यसभा की 10 और लोकसभा की 80 सीटों पर चुनाव से पार्टी नए नेतृत्व को मौका देने की शुरुआत करेगी। जातीय समीकरण साधते हुए इन सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। इसमें महिला और युवाओं की संख्या बढ़ाई जाएगी। इनमें पंचायतीराज और नगरीय निकाय संस्थाओं के जनप्रतिनिधि, सहकारी संस्थाओं में चुने हुए प्रतिनिधि, पार्टी के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारी भी शामिल होंगे। इनके जरिये पार्टी प्रदेश में अगड़े, पिछड़े, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग में अपनी नई लीडरशिप भी तैयार करेगी।
पार्टी जिन्हें फिर से विधान परिषद, लोकसभा या राज्यसभा जाने का मौका नहीं देगी, उन्हें भी संगठन से जुड़ी कोई न कोई जिम्मेदारी दी जाएगी।
पीढ़ी परिवर्तन का दौर क्यों जरूरी है?
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि भाजपा को नए और युवा चेहरों की जरूरत है, जो आगामी 15-20 वर्षों तक पार्टी का नेतृत्व कर सकें। मौजूदा नेतृत्व काफी उम्रदराज हो चुका है। उन्हें संगठन और सरकार में काम करने का काफी अनुभव है, लेकिन अब उन्हें नई पीढ़ी को नेतृत्व सौंपने का समय आ गया है।
नए नेतृत्व के लिए क्या योग्यताएं होनी चाहिए?
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि नए नेतृत्व के पास निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:
- संगठनात्मक कौशल
- नेतृत्व क्षमता
- जनता से जुड़ाव
- आधुनिक सोच
- जनजातीय और पिछड़ी जातियों का प्रतिनिधित्व
पीढ़ी परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ेगा?
पार्टी का मानना है कि पीढ़ी परिवर्तन से पार्टी को निम्नलिखित लाभ होंगे:
- पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होगा।
- पार्टी का विस्तार होगा।
- पार्टी युवाओं के बीच लोकप्रिय होगी।
- पार्टी का विरोधी दलों पर दबाव बढ़ेगा।