धीर, वीर, गंभीर थी गौरिहार, साहित्य और संस्कृति के प्रति थे समर्पण भाव:

Dharmender Singh Malik
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रानी सरोज रानी गौरिहार की अंतिम काव्य संग्रह सप्तपर्णी का विमोचन करते पुरुषोत्तम खंडेलवाल, सोम ठाकुर , ऊषा यादव, शांति नागर, शशि तिवारी, अशोक अश्रु ,नीलिमा शर्मा, मंदिरा शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा, हरीश चिमटी

प्रथम पुण्य तिथि पर काव्य संग्रह सप्तपर्णी का विमोचन

आगरा । स्वाधीनता सेनानी, साहित्य सेवी और कवयित्री रानी सरोज गौरिहार ने समाज, साहित्य और कला अत्यधिक प्रोत्साहन दिया, जिसके लिए वे हमेशा याद की जाती रहेंगी। कृतज्ञ समाज ने उनकी प्रथम पुण्य तिथि पर स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।

नागरी प्रचारिणी सभा के मानस भवन में आयोजित प्रथम स्मृति समारोह में विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने कहा कि गौरिहार जी आगरा की शान थीं, उनके निधन के बाद एक रिक्तता शहर में आ गयी है। वे शहर के हर कार्यक्रमों का गौरव बढ़ाती थीं। उनका लेखन, समाजसेवा, साहित्यसेवा अविस्मरणीय रहेगी।
पूर्व राज्य मंत्री डॉक्टर सी पी राय ने कहा कि ऐसे लोग बिरले ही होते हैं, जिनकी कमी शहर को महसूस होती है। ऐसी शख्सियत थीं गौरिहार जी। उन्होंने कला और संगीत को भी बढ़ावा दिया। नागरी प्रचारिणी सभा की सभापति के रूप में उन्होंने साहित्य को समृद्ध किया।

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पद्मश्री डा.उषा यादव ने गौरिहार जी के साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि उनके जो भी खंड काव्य हैं, वे बहुत ही अद्भुत हैं। उन्होंने जिसे मनोयोग से उन्हें लिखा है, उससे उन्हें देश में ख्याति मिलनी चाहिए थी। सुविख्यात कवि सोम ठाकुर का कहना था कि गौरिहार जी बहुत ही सहज और सरल व्यक्तित्व की धनी थीं। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती थी। कभी न खुद निराश होती थी न किसी को निराश करती थीं।

डा.शशि तिवारी ने कहा कि उनका स्वभाव ऐसा था कि सबकी प्रिय थीं। उनका प्यार निश्छल और निष्कपट था। वे सभी की अपनी थी और सब उनके थे। उन्होंने कविता के माध्यम से अपने भाव सुमन अर्पित किए। डा शांति नागर ने भी अपने संस्मरण सभी के साथ साझा किए।

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समारोह में गौरिहार जी का काव्य संग्रह सप्तपर्णी का विमोचन पुरुषोत्तम खंडेलवाल, सोम ठाकुर , ऊषा यादव, शांति नागर, शशि तिवारी, अशोक अश्रु ,नीलिमा शर्मा, मंदिरा शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा सभी अतिथियों ने किया। गौरिहार जी का परिचय और सप्तपर्णी पर विचार व्यक्त किए उसके संपादक अशोक अश्रु ने। उन्होंने बताया कि गौरिहार जी ने जीवन भर जो काव्य रचना कीं, उनमें से चयनित कविताओं का संकलन है, जो गौरिहार जी अपने जीवनकाल में सरप्राइज के रूप में प्रकाशित और उसका विमोचन कराना चाहती थीं, लेकिन दुर्भाग्य से यह सब उनके जीवनकाल में नहीं हो सका। सप्तपर्णी की भूमिका आदर्श नंदन गुप्ता ने लिखी है।

प्रारंभ में गौरिहार जी की पुत्रियों नीलिमा शर्मा, मंदिरा शर्मा ने सभी का स्वागत किया। डॉक्टर चंद्र शेखर शर्मा ने स्वागत उद्बोध किया।

इससे पूर्व आए हुए अतिथियों का माल्यार्पण एवम शॉल द्वारा सम्मान विवेक कुमार जैन, आदर्श नंदन गुप्त, शशि शिरोमणि, नीलिमा शर्मा, मंदिरा शर्मा आदि ने किया। इस मौके पर श्रुति सिन्हा, अनिल शुक्ला, कुसुम चतुर्वेदी, डॉक्टर मधु भारद्वाज, अशोक रावत, सुशील सरित, शैलबाला सक्सैना, शशि शिरोमणि, नीरज जैन, डॉक्टर सुषमा सिंह, डॉक्टर सरोज भार्गव, प्रेमा वर्मा, आकांक्षा शर्मा, शशि गोयल, डॉक्टर सर्वदमन मिश्र ने भी विचार व्यक्त किए।

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usha धीर, वीर, गंभीर थी गौरिहार, साहित्य और संस्कृति के प्रति थे समर्पण भाव:
विचार व्यक्त करती ऊषा यादव

कार्यक्रम में राज बहादुर राज, अनुराग पालीवाल, महेश शर्मा, रेखा कक्कड़, राजकुमारी शर्मा, संजय शर्मा, भुवनेश श्रोतीय, महेश धाकड़, शरद गुप्ता, वीरेंद्र गोस्वामी, नंद नंदन गर्ग आदि उपस्थित रहे। कुशलता पूर्वक संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी हरीश चिमटी ने किया। आभार गौतम रावत ने व्यक्त किया।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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